जब देवता असुरो से हारने लगे तब देवता ब्रह्मा के पास गए और तब ब्रह्मा जी ने देवताओं की पत्नियों से व्रत रखने और उनकी जीवन की कामना करने को कहा।
देवता विजयी हुए ये बात पत्नियों को पता चला तो बहुत खुश हुई।
तब पत्नियों ने चंद्रमा को जल देते हुए अपना व्रत समाप्त किया।
धीरे धीरे आगे ये करवाचौथ का रूप ले लिया और तब से मनाया जाने लगा।
२०१९ का करवाचौथ १७ अक्टोबर को पड़ा है जिसमें सुबह ६ से शाम ७ के बिच व्रत है ।
७ से ८ बजे शाम पूजा करके ८:१८ मिनट शाम चाद को देखा जा सकता है और औरतें अपने पति के साथ पूजा करके व्रत समाप्त कर सकती है।
पूजा के लिए जल से भरा हुआ लोटा एक थाली में लेकर कुछ फल रखकर करवा माता का फोटो छलनी और सीक आदि।
देवता विजयी हुए ये बात पत्नियों को पता चला तो बहुत खुश हुई।
तब पत्नियों ने चंद्रमा को जल देते हुए अपना व्रत समाप्त किया।
धीरे धीरे आगे ये करवाचौथ का रूप ले लिया और तब से मनाया जाने लगा।
२०१९ का करवाचौथ १७ अक्टोबर को पड़ा है जिसमें सुबह ६ से शाम ७ के बिच व्रत है ।
७ से ८ बजे शाम पूजा करके ८:१८ मिनट शाम चाद को देखा जा सकता है और औरतें अपने पति के साथ पूजा करके व्रत समाप्त कर सकती है।
पूजा के लिए जल से भरा हुआ लोटा एक थाली में लेकर कुछ फल रखकर करवा माता का फोटो छलनी और सीक आदि।
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